ॐ का दिव्य रहस्य

समस्त ब्रह्मांड की आधारशिला और दिव्य ध्वनि का पूर्ण विज्ञान

ॐ का पूर्ण विज्ञान - विडियो में समझें

या ओंकार सनातन धर्म का सबसे पवित्र और रहस्यमय प्रतीक है। यह केवल एक ध्वनि नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड का सार है। वेदों में इसे "प्रणव" कहा गया है, जिसका अर्थ है - सबसे प्राचीन और श्रेष्ठ ध्वनि।

"ॐ इत्येकाक्षरं ब्रह्म" - भगवद्गीता (8.13)
"ॐ यह एक अक्षर ही ब्रह्म है।"

ॐ क्या है?

ॐ तीन अक्षरों का सम्मिलित रूप है: अ (A), उ (U) और म (M)। ये तीनों अक्षर त्रिदेवों - ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करते हैं, और साथ ही ब्रह्मांड की तीन अवस्थाओं का:

1

अ (A) - उत्पत्ति

ब्रह्मा जी का प्रतीक, सृष्टि की उत्पत्ति, जागृत अवस्था

2

उ (U) - पालन

विष्णु जी का प्रतीक, सृष्टि का पालन, स्वप्न अवस्था

3

म (M) - संहार

महेश (शिव) जी का प्रतीक, सृष्टि का संहार, सुषुप्ति अवस्था

इन तीनों के बाद आने वाली मौन ध्वनि (शून्य) चौथी अवस्था तुरीय का प्रतीक है, जो मोक्ष की अवस्था है।

वैज्ञानिक महत्व

आधुनिक विज्ञान ने भी ॐ के महत्व को स्वीकार किया है:

ॐ का सही उच्चारण कैसे करें?

1

आसन

पद्मासन, सुखासन या किसी आरामदायक स्थिति में रीढ़ सीधी करके बैठें

2

श्वास

गहरी साँस लें और पेट को फुलाएँ, फिर धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए ॐ का उच्चारण करें

3

उच्चारण विधि

"ओऊम्म्म" - अ से शुरू करें, उ में बदलें और म पर समाप्त करें। म की ध्वनि को गूँजने दें

4

अवधि

प्रतिदिन सुबह और शाम 5-10 मिनट के लिए 108 बार जप करें (माला के साथ)

ॐ जप के लाभ

मानसिक शांति

तनाव, चिंता और अवसाद दूर होता है, मन शांत और स्थिर रहता है

शारीरिक स्वास्थ्य

रक्तचाप सामान्य रहता है, प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है

एकाग्रता

ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है, स्मृति तेज होती है

आध्यात्मिक विकास

चक्र जागरण, आत्म-साक्षात्कार और आंतरिक शक्ति का विकास

ॐ के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या ॐ का जप केवल हिन्दू ही कर सकते हैं?
नहीं, ॐ एक सार्वभौमिक ध्वनि है जो किसी भी धर्म, जाति या सम्प्रदाय का व्यक्ति जप सकता है। ॐ ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है और यह सभी के लिए है। बौद्ध, जैन और सिख धर्म में भी ॐ का महत्व है।
ॐ जपने का सबसे अच्छा समय क्या है?
सुबह ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे) और शाम सूर्यास्त के समय ॐ जपने का सबसे उत्तम समय माना जाता है। इन समय वातावरण शांत होता है और मन एकाग्र रहता है। हालांकि, आप किसी भी समय जप कर सकते हैं, नियमितता महत्वपूर्ण है।
ॐ जपते समय क्या ध्यान रखना चाहिए?
  1. शांत और स्वच्छ स्थान चुनें
  2. रीढ़ की हड्डी सीधी रखें
  3. आँखें बंद करके ध्यान लगाएँ
  4. मन को भटकने न दें, ॐ की ध्वनि पर ध्यान केंद्रित करें
  5. जप के बाद कुछ देर शांत बैठें और मौन रहें
  6. शुरुआत में धीमी गति से जप करें, फिर धीरे-धीरे गति बढ़ाएँ
क्या ॐ जपने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण है?
हाँ, कई वैज्ञानिक शोधों में ॐ जप के लाभ सिद्ध हुए हैं:
  • हार्वर्ड मेडिकल स्कूल: ॐ जप से तनाव हार्मोन (कोर्टिसोल) कम होता है
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ: मस्तिष्क की अल्फा तरंगें बढ़ती हैं
  • यूसीएलए स्टडी: नियमित जप से हृदय गति स्थिर रहती है
  • भारतीय शोध: फेफड़ों की क्षमता 20% तक बढ़ जाती है
ॐ जपने के कोई नुकसान तो नहीं हैं?
ॐ जपने का कोई नुकसान नहीं है, बल्कि केवल लाभ हैं। हालांकि, कुछ सावधानियाँ रखनी चाहिए:
  • अत्यधिक तेज आवाज़ में न जपें - गले को नुकसान हो सकता है
  • भोजन के तुरंत बाद न जपें - कम से कम 2 घंटे का अंतर रखें
  • गंभीर हृदय रोगी डॉक्टर की सलाह के बाद ही जप करें
  • मानसिक रूप से अशांत होने पर केवल 5-10 मिनट ही जप करें
क्या बच्चे भी ॐ जप सकते हैं?
हाँ, बच्चे भी ॐ जप सकते हैं और इससे उन्हें बहुत लाभ होता है:
  • एकाग्रता और स्मृति बढ़ती है
  • तनाव कम होता है, खासकर परीक्षा के समय
  • आत्मविश्वास बढ़ता है
  • सकारात्मक ऊर्जा मिलती है
बच्चों के लिए दिन में 5-10 मिनट का जप पर्याप्त है। उन्हें धीरे-धीरे और आराम से जप करना सिखाएँ।

भ्रांतियाँ और तथ्य

भ्रांतियाँ:

तथ्य:

व्यावहारिक सुझाव

शुरुआत कैसे करें:

  1. प्रतिदिन सुबह 5-10 मिनट का समय निश्चित करें
  2. शांत और स्वच्छ स्थान चुनें
  3. आरामदायक आसन में बैठें, रीढ़ सीधी रखें
  4. शुरुआत में 21 बार जप से शुरू करें, धीरे-धीरे बढ़ाएँ
  5. मन में कोई अपेक्षा न रखें, केवल जप पर ध्यान दें
  6. नियमितता सबसे महत्वपूर्ण है - छोटा पर नियमित अभ्यास बड़े पर अनियमित से बेहतर

आज से ही शुरू करें

ॐ का जप आपके जीवन में शांति, स्वास्थ्य और सफलता ला सकता है। बस शुरुआत करें।

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